सुनने में आया कि केंद्र सरकार ने लड़कियों के लिए भारत में विवाह की औसत उम्र (Average Age of Marriage in India) 18 साल से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का फैसला कर लिया है। इसके लिए चालू संसद सत्र में विधेयक पेश किया जा सकता है। बताया जा रहा कि दूल्हा-दुल्हन की न्यूनतम उम्र में समानता लाने के लिए तैयार प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी है।
लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 18 से बढ़ाकर 21 साल करने से जुड़े विधेयक के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश किए जाने से उम्र सीमा में बदलाव से समाज में नई बहस छिड़ गई है।
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किन कानूनों में संशोधन जरूरी है?
Marriage Age in India: औसत आयु बढ़ाकर 21 वर्ष करने के लिए 3 क़ानूनों में संशोधन करना जरूरी है। इन्हीं तीनों क़ानूनों में वर्तमान औसत आयु 18 वर्ष है।
- विवाह अधिनियम-1954
- बल विवाह निषेध अधिनियम-2006
- हिन्दू विवाह अधिनियम-1955
Average age of marriage | कब बदलाव हुआ?
- ब्रिटिश राज के दौरान The Age of Consent Act, 1891 में भारतीय लड़कियों के विवाह की Minimum Age बढ़ाकर 12 साल निर्धारित की गयी थी।
- ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1929 में बाल विवाह निरोधक कानून बनाया था। शारदा एक्ट के नाम से मशहूर इस कानून के तहत लड़कियों के विवाह कि उम्र बढ़ाकर 14 साल कर दी गयी थी।
- आज़ादी के बाद वर्ष 1949 में तब की अन्तरिम सरकार ने कानून में संशोधन करके भारत में लड़कियों के विवाह की औसत आयु बढ़ाकर 15 साल कर दी थी।
- सरकार ने 1978 में शारदा एक्ट में संशोधन करके लड़कियों के विवाह की औसत आयु 18 साल कर दी थी।
विदेशों में विवाह की औसत उम्र क्या है?
देश | लड़कियां | लड़के |
---|---|---|
अमेरिका | 18 | 18 |
ब्रिटेन | 16 | 16 |
जर्मनी | 18 | 18 |
फ्रांस | 18 | 18 |
चीन | 20 | 22 |
Average age of marriage | उम्र बढ़ाने की वजह क्या है?
Average Age of Marriage in India: लैंगिक निष्पक्षता (Gender fairness) के लिहाज़ से अब उम्र बढ़ाने को इसलिए जरूरी समझा जा रहा है कि प्रत्येक क्षेत्र में हम Gender equality और Women Empowerment की बात तो करते हैं, परन्तु विवाह पर आकर अटक जाते हैं। वहां हमारी Gender equality कहां चली जाती है? यह अपने आप में आश्चर्य जनक है कि लड़की 18 साल में शादी के योग्य हो जाती है, जबकि इसी कारण से उसके College जाने का अवसर खत्म हो जाता है।
जबकि लड़के के पास अपने जीवन और जीविका के लिए तैयार होने का 21 की उम्र तक अवसर होता है। इसके अलावा जल्द शादी होने से लड़कियों की शिक्षा और उनकी आजीविका के स्तर पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता देखा गया है। जल्दी गर्भधारण का माताओं और उनके बच्चों के पोषण स्तर और स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। इससे शिशु और मातृ मृत्यु दर कम करने में मुश्किल होती है।
सरकार के इस कदम से महिला सशक्तिकरण (Women empowerment) में शर्तिया मदद मिलेगी।